सब वहीं देखना चाहते जो तुम दिखाते हो , नेता कम थे जो अब तुम भी हमें बेवकूफ़ बनाते हो सब वहीं देखना चाहते जो तुम दिखाते हो , नेता कम थे जो अब तुम भी हमें बेवकूफ़ ...
समय सज़ा मुकम्मल कर जाता है, कोई मनचला महबूब उसे मंडप से ही उड़ा ले जाता है। समय सज़ा मुकम्मल कर जाता है, कोई मनचला महबूब उसे मंडप से ही उड़ा ले जाता ...
ये जो चुनरी में दाग़ है क्यूँ छुपाती फिरती हो...! ये जो चुनरी में दाग़ है क्यूँ छुपाती फिरती हो...!
दूर - दूर तक इंसानियत का कोई वास्ता नहीं है ! दूर - दूर तक इंसानियत का कोई वास्ता नहीं है !
मेरी रूह ! मेरी रूह !
एक हलफनामा...। एक हलफनामा...।